लेखनी प्रतियोगिता -11-Jan-2022 संसार
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अब पहली सी बात कहां है,
पहली सी बरसात कहां है,
वो कागज की नाव कहां है,
वो पेड़ों की छांव कहां है,
वो पहले से जज्बात कहां है,
पहले से हालात कहां है,
हो रही है कठिन डगर---
हर पग पर लगता है डर,
झांकते हैं खिड़कियों से---
खुलेआम लगता है डर,
वह अदृश्य एक बला है---
उसने हर एक दिल को छला है,
एक दिन तो आएगा---
समय पलट जाएगा,
होगी हवा में भी राहत---
पूरी होगी सब की चाहत,
हवा में फैले विष से---
संसार मुक्ति पाएगा,
वह शुभ दिन भी एक दिन आएगा।
संगीता वर्मा✍✍
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
26-Jan-2022 01:17 AM
Wow mam bahut khub bahut sundar❣️😇🙏
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Zakirhusain Abbas Chougule
12-Jan-2022 09:42 AM
Very nice
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Ravi Goyal
12-Jan-2022 08:31 AM
बहुत सुंदर रचना 👌👌
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